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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने सुनाया फैसला, भरण-पोषण से इनकार नहीं कर सकते

लिव-इन में रहने के बाद अलग होने वाली महिला भत्ते की हकदार कोर्ट

क्या है मामला

महिला ने व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि उसने शादी के बहाने शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में शादी करने से इनकार कर दिया। हालांकि बाद में अदालत को सूचित किया गया कि उस व्यक्ति और शिकायतकर्ता ने अपना विवाद सुलझा लिया और अदालत में शादी कर ली।

भोपाल, एजेंसी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि किसी पुरुष के साथ लंबे समय तक लिव इन रहने वाली महिला अलग होने पर भरण-पोषण की हकदार है। भले ही वे कानूनी रूप से विवाहित न हों।

न्यायमूर्ति जेएस अहलूवालिया की पीठ ने 38 वर्षीय शैलेश बोपचे की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही, जिसे निचली अदालत ने उस महिला को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता देने का आदेश दिया था, जिसके साथ वह लिव इन में रहता था। कोर्ट का यह फैसला एक प्रगतिशील कदम है। न्यायाधीशों ने इस बात पर जोर दिया कि यदि कपल के बीच सहवास का सबूत है तो भरण-पोषण से इनकार नहीं किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के निष्कर्ष का हवाला दिया, जिससे निष्कर्ष निकाला कि पुरुष और महिला पति और पत्नी के रूप में रह रहे थे। इसके अतिरिक्त रिश्ते के भीतर बच्चे के जन्म को ध्यान में रखते हुए अदालत ने महिला के भरण-पोषण के अधिकार की पुष्टि की।

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